Surya Namaskar Kaise Kare | सूर्य नमस्कार
Surya Namaskar mein kul 12 asan hote hain. Ye yoga vyayam ka laabh pahunchata hai. Ys body ko nirog aur healthy banata hai. Estri, purush, …
Surya Namaskar mein kul 12 asan hote hain. Ye yoga vyayam ka laabh pahunchata hai. Ys body ko nirog aur healthy banata hai. Estri, purush, …
selfrealization यानि की आत्मबोध atmabodh यह एक process है जो हर मनुष्य को real self realize कराती है । मेधांजली नाम की एक लड़की थी नाम यश प्रतिष्ठा की नाव पर सरकते वह बहुत आगे बढ चुकी थी समाज एवं विद्वानो के बीच मेधांजली एक छवि बन चुकी थी उसके तर्क एवं तथ्य के सामनेटिकना मुश्किल था । तर्क के साथ वह बहुत sensitive थी इसलिए उसकी hindi stories के चरित्र अत्यंत जीवंत एवं आकर्षक होते थे । वैभव के इस विराट आँगन मे उसका मन नही समा पाता था उसके मन के आँगन पर तो जैसे अनंत आसमान फैला हुआ था । gambhir विचारशिलता से उसका मन भरा हुआ था ।फिर भी वह अपने knowledge अपनी समझ के प्रति संतुष्ट नही थी मन के भीतर एक खालीपन का अनुभव उसे सतत होता रहता था आज ऐसे ही वह किसी विचारों मे डुबी हुई थीं । कि तभी माँ के आवाज़ से उसका dhyan टुटा और उसे याद आया कि आज ही शाम को उसे एक seminar के समारोह मे अतिथि बन कर जाना है ।वह जल्दी जल्दी तयार होकर seminar hall पर पहुँच गई । मेधा को देखकर उसके all audience ने उसे चारों ओर से घेर लिया और उसकी प्रशंसा करने लगे पर मेधा का dhyan एक कुर्सी पर गया । जिस पर professor gaurav sharma बैठे थे वो physics के professor थे । और अपने क्षेत्र मे विशिष्ट अनुसंधान कर चुके थे उन्हें भीड़ पसंद नही थी उनके गंभीर एव एकांत के स्वभाव से सभी परिचित थे । यानी without permission कोई भी उनके पास नही जाता था । यह भी पढ़ें अनहद नाद का रहस्यprofessor gaurav का seminar मे speech था । मेधांजली ने professor sir के पास जाकर उनके चरण स्पर्श किए । डर रही थी की वे कुछ कह न दे ।उन्होंने कहा मेधांजली आओ बैठाे । मेधांजली बैठी और उन दोनों की बातचीत चालू हुई ।इसके बाद professor साहब को speech देने हेतु stage पर बुलाया गया । Speech मे उन्होंने कहा । यहां बैठे सभी लोग kuch pana …
दिव्य अनहद नाद के बारे में हम पिछले लेख में विस्तार से जान चुके हैं कि अनहद नाद (अनाहत नाद, ॐ, Sound of Silence) क्या …
पौराणिक काल से ही यह माना जाता रहा है कि एक दिव्य ध्वनि हमेशा ओर हर एक चीज में अनवरत रूप से विद्यमान है। इसे …
‘मैं’ यानी कि आपका हमारा self जिसे अहं भाव व अहंकार भी कहा जाता है। जिससे खुद के होने का आत्मबोध या अहसास होता है। …