पाचन केवल एन्जाइम्स Enzymes की उपस्थिति में ही सम्भव होता है। इनके अतिरिक्त बैक्टीरिया एवं कुछ सूक्ष्मजीव (micro-organisms) भी पाचन में सहायता करते हैं।
जीवधारियों में पाये जाने वाले जैव-उत्प्रेरक (biocatalysts) को एन्जाइम्स कहलाते हैं। क्योंकि इनकी उपस्थिति मात्र से रासायनिक क्रियायें दैहिक अर्थात सामान्य ताप पर भी सरलता एवं आवश्यक गति से पूर्ण होती हैं। यद्यपि किरचॉफ (Kirchhoff) ने 1815 में गेहूं से ऐसा पदार्थ तैयार किया जो मांड को शर्करा में बदलता है किन्तु एन्जाइम शब्द का प्रयोग कुहने (Kuhne,1878) ने यीस्ट में पाये जाने वाले खमीर (ferment) के लिए किया था।
Enzyme kya hai | एंजाइम की विशेषताएं
(1) एन्जाइम्स सरल गोलाकार प्रोटीन (simple glohular protein) एकक है।
(2) अधिकांश Enzyme जल या नमक के घोल में घुलनशील होते हैं।
(3) एन्जाइम्स की उपस्थिति से शरीर में होने वाली रासायनिक क्रियाओं की गति तीव्र हो जाती है। इनकी अनुपस्थिति में कुछ क्रियायें तो धीमी गति से होती रहती हैं किन्तु कुछ बिल्कुल ही रुक जाती हैं।
(4) एन्जाइम्स को थोड़ी-सी मात्रा प्रक्रिया में भाग लेती है। प्रक्रियाओं में एन्जाइम्स स्वयं प्रयुक्त नहीं होते वरन् अपनी उत्प्रेरक क्रिया को दोहराते रहते हैं, यहाँ तक कि एन्नाइम्स का एक अणु 10,000 से 10,00,000 कियाओं को नियन्त्रित कर सकता है।
(5) एन्जाइम्स कोलॉइडल स्वभाव (colloidal nature) के होते हैं। अतः निश्चित रासायनिक प्रक्रिया को पूर्ण करने के पश्चात् ये नष्ट हो जाते हैं।
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(6) सामान्यतः Enzyme जीवों के शारीरिक ताप (26-45°) पर सर्वाधिक क्रियाशील होते हैं। इससे कम ताप पर इनकी सक्रियता कम हो जाती है और 60 C से अधिक होने पर ये प्रायः नष्ट हो जाते हैं ।
(7) प्रत्येक एन्जाइम एक विशेष अम्लता पर पूर्ण सक्रिय होता है। यही कारण है कि कुछ एन्जाइम्स अम्लीय माध्यम में तथा दूसरे क्षारीय माध्यम में कार्य कर सकते हैं। ट्रिपसिन क्षारीय माध्यम में, पेप्सिन अम्लीय में तथा लाइपेस उदासीन माध्यम में कार्य करते हैं।
(8) एक प्रकार का एन्जाइम केवल एक ही प्रकार के पदार्थों पर अपना प्रभाव डाल सकता है जैसे पेप्सिन एन्जाइम केवल प्रोटीन को पचाता है।
(9) एन्जाइम द्वारा नियन्त्रित क्रियाएँ प्रतिवर्ती (reversible) होती हैं। अतः ये संश्लेषण एवं विखण्डन (synthesis and distintegration) दोनों प्रकार की क्रियाओं में भाग लेते हैं ।
(10) पाचक Enzyme सदैव जल-अपघटन (hydrolysis) विधि द्वारा कार्य करते हैं। ये प्रायः निष्क्रिय अवस्था में स्रावित किये जाते हैं। निस्क्रिय अवस्था में एन्जाइम को प्रोएन्जाइम कहते हैं। आमाशय की जठर ग्रन्थियों (gastric glands) से श्रावित जठर रस में पेप्सिन नामक एन्जाइम होता है जो श्राव के समय पेप्सिनो-जन (pepsinogen) कहलाता है । अम्लीय माध्यम में पहुंचने के पश्चात् ही यह सक्रिय होता है।
(11) उचित क्रिया के लिये कुछ एन्जाइम्स को सहएन्जाइम (coenzyme) की आवश्यकता होती है। सहएन्जाइम्स अकार्बनिक आयन (inorganic ions) होते हैं। पेंक्रियेटिक एमाइलेज (pancreatic nmylase) को फॉस्फेट आयनों की एवं रेनिन को Ca++ आयनों की आवश्यकता होती है।
(12) एन्जाइम्स कोलॉयडी पदार्थ हैं जो विसरण द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान पर नहीं पहुँच सकते।
(13) एन्जाइम्स अस्थायी एवं सुप्राही होते हैं। ये तनु ग्लिसरोल, नमक के घोल तथा तनु एल्कोहल में घुल जाते हैं, किन्तु सान्द्र एल्कोहल व अमोनियम सल्फेट के संतृप्त घोल द्वारा अवक्षेपित हो जाते हैं।
एन्जाइम की कार्य-विधि | Mechanism of Enzyme Action in hindi
एन्जाइम्स की कार्य-विधि के सम्बन्ध में वैज्ञानिकों ने अनेक वाद प्रस्तुत किये-

किण्व-भोज कम्पलेक्स परिकल्पना | Enzyme-substrate complex hypothesis
हेनरी (Henri) द्वारा प्रस्तुत ‘एन्जाइम्स किण्व भोज कम्पलक्स परिकल्पना’ (enzyme substrate complex hypothesis) सर्वाधिक मान्य’ है। इस परिकल्पना के अनुसार एन्जाइम अपने किण्व-भोज (substrate) के साथ मिल कर एका अस्थायी माध्यमिक कम्पलेक्स बनाता है जिसे एन्जाइम किण्व-भोज कम्पलेक्स (enzyme substrate complex) कहते हैं। यह कम्पलेक्स तुरन्त ही प्रतिक्रिया उत्पादकों (reaction products) एवं वास्तविक एन्जाइम में विघटित हो जाता है। इसको निम्नलिखित विधि द्वारा प्रदर्शित किया जा सकता है-
ताला-कुजी परिकल्पना | Lock and key-hypothesis in hindi
एमिल फिशर (Emil Fisher) के अनुसार एन्जाइम में एक सक्रिय स्थान होता है जिसमें विशेष यौगिक ठीक उसी प्रकार फंस जाता है जैसे ताले में चाबी । अतः एन्जाइम एवं मूल यौगिक से सम्बद्ध एन्जाइम किया विधि को ताला-कुंजी प्रक्रम (lock and key process) कहते हैं। इसमें मूल यौगिक के अणु निकट संपर्क में आ जाते हैं और उनमें रासायनिक क्रिया की गति बढ़ जाती है और मूल यौगिकों के संयोग से नया यौगिक बन जाता है अथवा मूल यौगिक दो अथवा अधिक पदार्थों में वियोजित होता है।
डेनियल कोशलैंड(Daniel Koshland) का मत है कि एन्जाइम मूल योगिक के सक्रिय भाग में कुछ परिवर्तन उत्पन्न करता है जिससे मूल यौगिकों के सक्रिय समूह समीप आकर क्रिया की गति को बढ़ा देते हैं ।
एंजाइम्स का महत्व | Importance of enzymes in hindi
एन्जाइम्स का मुख्य कार्य किसी भी रासायनिक क्रिया को कम तापक्रम पर व कम ऊर्जा द्वारा पूर्ण करना है जिससे सामाम्य शारीरिक तापक्रम पर भी वह प्रतिक्रिया उचित गति से पूर्ण हो सके ।
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एंजाइम्स का वर्गीकरण | Classification of enzymes
एन्जाइम्स जल-अपघटन (hydrolysis), कार्बोक्सिलहरण (carboxylation तथा ऑक्सीकरण व अवकरण (oxidation and reduction) द्वारा रासायनिक क्रियाओं का नियमन करते हैं। कार्यों के अनुरूप एन्जाइम्स को पाँच वगों में बांटा जाता है-
जल-अपघटनीय एम्जाइम्स (hydrolytic enzymes or hydrolases)-ये पाचक एंजाइम हैं जो जल अपघटन द्वारा जटिल यौगिकों के अणुओं को सरल अणुओं में अपघटित करते हैं, जसे एमाइलेस, लाइपेस, यूरेस, आजिनेस, माल्टेस आदि । (ii) डोमोलेसेस (demolases) ऑक्सीकरण, अवकरण तथा कार्बोक्सिलहरण द्वारा अणुओं को विघटित करते हैं। इनको डीहाइड्रोजीनेसिस (dehydrogenases), कार्बोक्सिलेसेस (carboxylases), ऑक्सीडेसेस (oxidases) कहते हैं।
स्कंदन एन्जाइम्स (coagulating enzymes) विभिन्न पदार्थों को दव से ठोस में बदलते हैं। दूध को दही में बदलने वाला एन्जाइम रेनिन (renin) इसका उदाहरण है। (12) आइसोमेरेसेस (isomerases)-ये एन्जाइम्स रासायनिक यौगिक के अणुओं में परमाणुओं के विन्यास को परिवर्तित कर देते हैं। (iv) संश्लेषिक एन्जाइम्स ये enzyme विभिन्न अणुओं के सम्मिलन द्ववारा नए पदार्थों के जटिल अणुओं का निर्माण करते हैं।
पाचक एंजाइम्स | Digestive Enzyme
पाचक एंजाइम्स जला-अपघटन एंजाइम (hydrolysis) होते हैं । ये जटिल
यौगिक अणुओं को सरल अणुओं में तोड़ते हैं। इन्हें हाइड्रोलेजेस (hydrolases)
कहते हैं। ये निम्न लिखित हैं-
- कार्बोहाइड्रेट पाचक एंजाइम (Carbohydrases)
(A) एमाइलेजेज (Amylases)—पोलिसकेराइड्रस को डाइसकेराइड्स में होइड्रोलाइज करती हैं | Salivary amylase लार रस में होती है। यह स्टार्च को शर्करा में बदलती है।
(B) डाइसकेराइस-पाचक एंजाइम (Disaccharidases)— डाइसकेराइड्स को मोनोसके राइड में तोड़ते हैं। ये आंत्र-रस में मिलते हैं-
(i) माल्टेस (maltase) माल्टेस शर्करा को ग्लूकोस में बदलते है ।
(ii) सूक्रस (Sucrase) सुक्रोस को ग्लूकोस में
(i) लैक्टेस (lactase) लैक्टोस को ग्लूकोस व गलेक्टोस में । - प्रोटीन पाचक एंजाइम (Proteinases)
(A) एन्डोपेप्टोडेजेज (Endopeptidases)-प्रोटीन के मटिल अणुओं को पॉलिपेप्टाइड शृंखलाओं में तोड़ते हैं।
(i) पेप्सिन (Pepsin)-प्रोटीन को प्रोटिओसेस तथा पेप्टॉन्स (Proteoses and peptomes) ने अपघटित करती है। यह अमाशायिक रस में होता है।
(ii) ट्रिप्सिन व काइमोट्रिन्सिन (Trypsin and Chymotrypsin)-प्रोटीन को पेप्टोन्स एवम् पोलीपेप्टाइड्स (peptones and polypeptides) में अपघटित करते हैं। ये पैक्रियेटिक रस में होते हैं।
(B) एन्डोपेप्टोडेजेज (Endopeptidases).-ये पोलीपेप्टाइड शृंखलाओं को ऐमीनो अम्लों में विघटित करते हैं-
(ii) कार्बोक्सी-पेप्टिडेस (Carboxypeptidases) पॉलीपेप्टाइड, शृंखला को ऐमीनो-अम्लों में विघटित करती हैं ।
(iv) इरेप्सिन (Erepsin)-पॉलीपेप्टाइड, टापपेप्टाइड व डाइपेप्टाइड अणुओं को ऐमीनो-अम्लों में अपघटित करते हैं। ये क्रमशः ऐमीनोपेप्टोर्डन (aminopeptidase) हाइपेप्टीडेन तथा डाइपेप्टोरेन कहलाते हैं। ये
आंत्र रस में होते हैं। - वसा-पाचक एंजाइम या लाइपेज (Lipase)
(i) गैस्ट्रिक लाइपेज (Gastric lipase)-दूध की वसा को वसीय अम्लों तथा ग्लिसरॉल (fatty acid and glycerol) में अपघटित करता है। (ii) इंटेस्टाइनल लाइपेज या लाइपेज (intestinal lipase) - न्यूक्लिऐजेज (Nucleases) ये न्यूक्लिक अम्लों को न्यूक्लिओटाइड, न्यूक्लिओसाइड या एमीनों अम्लों में विघटित करते हैं। ये डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिएज (droxyriborncleases) तथा राइबो न्यूक्लिएज (ribonuclease) कहलाते है । ये केवल ऑनरस में मिलते हैं ।
- एंजाइम-सक्रियता नियंत्रक कारक (Factors Controlling Enzyme Activity) (1) pH (12) ताप-37°C सामान्य (ii) किण्व-भोज सान्त्रता (Concentration of substrate)
निष्कर्ष | Conclusion
तो ये थी जानकारी की enzyme kya hai के बारे में जिसमे हमने आपको एंजाइम के बारे में हिंदी में बताया है। उम्मीद है कि आपके लिए यह जानकारी बहुत ही महत्वपूर्ण साबित होगी। आप इस जानकारी को share भी कर सकते हैं तथा अन्य कोई प्रश्न इस बाबत enzymes के बारे में यदि पूछना हो तो कृपया कमेंट करके पूछें।